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गृहस्थ साधकों के अनुभव : तंत्र अनुष्ठानों का प्रभाव ।। Tantra Sadhana aur Jyotish
गृहस्थ साधकों के अनुभव : तंत्र अनुष्ठानों का प्रभाव ।। Tantra Sadhana aur Jyotish
गृहस्थ व्यक्ति जब साधनाओं के क्षेत्र में प्रविष्ट होता है और यदि उसका मूल उद्देश्य धर्म-अर्थ और काम-मोक्ष का है तो वह आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त करता चला जाता है। कारण यह है कि उसके साथ साधनाओं का तप-बल और अनुष्ठान की शक्ति समाहित होती है।
कुछ ऐसा ही इन साधकों के जीवन में हुआ। यह सभी साधक अपने जीवन में बहुत पिटे-पिटाए रहे। ज्योतिषीय दृष्टि से बात करें तो जब इनके जीवन में राहु, शनि और केतु जैसे क्रूर ग्रहों की महादशा और अंतर्दशा आई उस समय इनके कार्य-व्यवसाय इत्यादि सब ठप पड़ गये। कुछ की दुकानें टूट गईं, कुछ का बिजनेस दो-दो, तीन-तीन बार चौपट हो गया, अच्छा खासा चलता हुआ जीवन कर्ज की भेंट चढ़ गया और अंततः व्यवसाय भी डूब गया।
ऐसे समय में गुरू-मार्ग द्वारा प्रदत्त साधनाओं और तांत्रिक अनुष्ठानों की शक्ति ने इनके जीवन को संभाला और तब जीवन की गाड़ी नए सिरे से पटरी पर आई और लगातार किए जाने वाले तंत्र साधनाओं की शक्ति से वह गाड़ी सरपट दौड़ती चली गई और अभी भी लगातार दौड़ रही है। अपने अनुभव व्यक्त करने में यह लोग भले ही अच्छे वक्ता के रूप में सामने नहीं आ रहे हों लेकिन भावनाएं चेहरे पर सब कुछ बता दे रही हैं। ऐसे में आप शब्दों को नहीं बल्कि इनकी भावनाओं को मूल रूप में देखिए और तंत्र साधना और अनुष्ठानों की शक्ति के प्रभाव को इनकी जुबानी स्वयं देखिए, सुनिए और समझिए।
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Tantra Sadhana aur Jyotish
